
मुंबई की लोकल ट्रेन में 9 जून 2025 को सुबह एक बड़ा हादसा हुआ, जिसमें उल्हासनगर के 23 वर्षीय केतन दिलीप सरोज की मौत हो गई। केतन अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला था। उसने गरीबी में पढ़ाई पूरी की, बी.कॉम. किया और ठाणे की एक कंपनी में सेल्समैन की नौकरी कर रहा था। उसके माता-पिता और दो छोटे भाई हैं। रोज की तरह वह काम पर निकला था, लेकिन अब कभी वापस नहीं लौटेगा।
हादसे की वजह
यह हादसा मध्य रेलवे के दिवा और कोपर स्टेशन के बीच सुबह करीब 9:30 बजे हुआ। दो लोकल ट्रेनें एक-दूसरे को क्रॉस कर रही थीं, तभी भीड़ के कारण दरवाजे पर लटके यात्रियों के बैग टकरा गए। इससे संतुलन बिगड़ा और एक के बाद एक 13 यात्री ट्रैक पर गिर गए। इनमें से चार की मौके पर ही मौत हो गई, बाकी गंभीर रूप से घायल हो गए। केतन के अलावा, रेलवे कर्मचारी विक्की मुखीदल और राहुल गुप्ता की भी पहचान मृतकों में हुई है।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
केतन के जाने के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। गरीबी में पढ़ाई कर, मेहनत से परिवार का सहारा बनने वाला बेटा अब हमेशा के लिए चला गया। परिवार की आर्थिक और मानसिक स्थिति बेहद खराब हो गई है।
प्रशासन की जिम्मेदारी और कदम
मुंबई लोकल में भीड़ और दरवाजे खुले रखने की मजबूरी से हर साल कई हादसे होते हैं। इस हादसे के बाद रेलवे बोर्ड ने सभी लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाने का फैसला किया है, ताकि चलती ट्रेन में दरवाजे खुले न रहें और कोई यात्री लटककर सफर न करे। पुरानी ट्रेनों को भी रीडिजाइन कर ऑटोमैटिक डोर क्लोजर लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई है।
निष्कर्ष
मुंबई लोकल की भीड़, सुरक्षा की अनदेखी और प्रशासन की लापरवाही के कारण केतन जैसे कई युवाओं की जान जाती है। प्रशासन से उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे, ताकि किसी और परिवार पर ऐसा दुख न टूटे।